राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग( NCBC )

राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग

राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग( National Commission For Other backward Class – NCBC ) NCBC आयोग की भूमिका/परिचय :-

👉अनुच्छेद (340) – इसमें राष्ट्रपति को ST/SC समूह से अलग वे समूह जो पिछड़े है , उनके मूल्यांकन के लिए आयोग गठित करने का अधिकार दिया गया है।

👉इसी अनुच्छेद में दिए गए अधिकार का अनुसरण करते हुए 2 बार राष्ट्रपति द्वारा अस्थायी पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया।

👉वर्ष 1953 में राष्ट्रपति ने काका कालेकर आयोग का गठन किया। इस आयोग की मुख्य सिफारिशें निम्न थीं:-

➡️OBC नाम की एक अलग Category बनायीं जाये।
➡️2000 से अधिक पिछड़ी जातियों का मूल्यांकन किया तथा OBC Category में रखने की सिफारिश की।
➡️सरकारी नौकरियों में प्रथम श्रेणी में 25% , द्वितीय में 33% तथा तृतीय में 40% आरक्षण की सिफारिश की। परंतु इस आयोग की सिफारिशें लागू नहीं की गई।

👉वर्ष 1978 में मंडल आयोग का गठन किया गया। इसके अध्यक्ष बी.पी. मंडल (बिन्धेश्वर प्रसाद मंडल) तथा अन्य 4 सदस्य थे। इसकी मुख्य सिफारिशें निम्न थीं: –

➡️इसने 3000 से अधिक पिछड़ी जातियों का चयन किया।
➡️पिछड़ी जातियों के लिए 27% आरक्षण की मांग की।

👉 सन् 1990 में V.P. सिंह की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिश को माना तथा OBC को 27% आरक्षण दे दिया‌।

👉सन् 1992 में इंद्रा साहनी बनाम भारतीय संघवाद मामले में इस 27% आरक्षण को चुनौती दी गई।

👉1992 में सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय देते हुए आरक्षण को वैध ठहराया तथा पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन का निर्देश दिया।

👉सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 के अधीन OBC के लिए एक आयोग का गठन किया गया । चूँकि अधिनियम के माध्यम से इसकी स्थापना की गई अतः यह एक वैधानिक आयोग (2018 तक) के रूप में कार्य करता रहा।

👉2018 के पहले इस आयोग को केवल OBC की श्रेणी में किसी जाति को शामिल किये जाने का अधिकार था , परन्तु उसे ST/SC आयोग की तरह OBC जातियों से होने वाले भेदभाव तथा अन्य अपराधों की सुनवाई का अधिकार नहीं था।

👉अतः भारत सरकार द्वारा 2018 में आयोग की शक्ति का विस्तार करते हुए 102 वां संविधान संशोधन 2018 किया गया तथा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को अनुच्छेद 338(B) के तहत संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।

👉 102वें संविधान संशोधन द्वारा अनुच्छेद 342(A) को जोड़ा गया है , जिसके अनुसार राष्ट्रपति द्वारा किसी राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश के जाति समूह को (जो सामाजिक और शैक्षिणक रूप से पिछड़े हैं) को OBC की श्रेणी में डाला जा सकता है। इसके लिए वह सम्बंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श लेता है।

स्थापना :- संविधान के भाग-16 के अनुच्छेद 338(B) के अंतर्गत इस आयोग को संवैधानिक निकाय का दर्जा प्राप्त है। यह 102 वें संविधान संशोधन 2018 द्वारा संवैधानिक दर्जा प्राप्त है।

मुख्यालय :- नई दिल्ली

संरचना :- 1 अध्यक्ष + 1 उपाध्यक्ष + 3 सदस्य

नियुक्ति :- राष्ट्रपति द्वारा

कार्यकाल :- 3 वर्ष

Note:- पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र , 2 बार से अधिक नियुक्ति के पात्र नहीं है।

त्यागपत्र :- राष्ट्रपति

हटाना :- राष्ट्रपति द्वारा

Note:- वर्तमान अध्यक्ष– डॉ. भगवान लाल साहनी वर्तमान उपाध्यक्ष– डॉ. लोकेश कुमार प्रजापति प्रथम अध्यक्ष– आर.एन. प्रसाद

योग्यता:-
➡️सामाजिक तथा शैक्षणिक रूप से पिछड़ी जाति (OBC) से समबन्धित हो।

➡️पिछड़ी जातियों को न्याय दिलाने तथा पिछड़ी जातियों से सम्बंधित सामाजिक सेवा का कार्य किया हो।

Note :- 3 तीन सदस्यों में से कम से कम 1 महिला।

शक्तियां :- सिविल न्यायालय की शक्तियां

कार्य :-
➡️OBC के संरक्षण से सम्बंधित विषयों की जाँच तथा निगरानी करना।

➡️OBC के कल्याण के सम्बन्ध में परामर्श सरकार और राष्ट्रपति को देना।

➡️OBC के अधिकारों के हनन से सम्बंधित किसी विशेष शिकायतों को जाँच करना।

➡️नई जातियो को अनुच्छेद 342(A) के अंतर्गत शामिल करने के लिए राष्ट्रपति को सलाह देना।

➡️OBC के विकास के लिए कार्यरत रहना , इस आयोग का मुख्य कार्य है।

Report :- राष्ट्रपति /राज्यपाल ➡️ संसद / विधानमंडल ➡️ सलाहकारी

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