DRDO : Defense Research and Development Organization (भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन)

स्थापना :- 1 जनवरी 1958 रक्षा विज्ञान संगठन के साथ भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान तथा तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय के संयोजन के बाद की गई थी।
Moto :- “बालस्य मूलं विज्ञानम” (शक्ति का स्रोत विज्ञान”है)
DRDO देश की एक अग्रणी संस्था है जो रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिए जानी जाती हैं। यह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का R&D (Research and development) विंग है।डीआरडीओ तब 10 प्रतिष्ठानों या प्रयोगशालाओं वाला एक छोटा संगठन था। वर्तमान मे संस्था की 50 से अधिक प्रयोगशालाएं हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण, आयुध, वैमानिकी इत्यादि कई क्षेत्रों के अनुसंधान में कार्य कर रही हैं।
मुख्यालय :- नई दिल्ली
वर्तमान अध्यक्ष :- G. सतीश रेड्डी
DRDO का कार्य क्या है?
➡️DRDO भारत के रक्षा प्रणालियों के डिज़ाइन और उन्नति के लिए लगातार काम करता रहता है।
➡️ये जल, थल, वायु सेनाओं की रक्षा जरूरतों को पूरा करती है और विश्व स्तरीय हथियार प्रणाली और यंत्र को बनाती है।
➡️DRDO सैन्य प्रौद्योगिकी के अलावा बहुत से क्षेत्रों में भी कार्य करती है जैसे कि साइबर, अंतरिक्ष, लाइफ साइंस, कृषि और परिक्षण के क्षेत्रों में भी, ताकि देश की सुरक्षा और मजबूत हो।
➡️यह संस्था रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करती है।
➡️युद्ध की प्रभावशीलता को अनुकूलित करने और सैनिकों की सुरक्षा को बढ़ावा देने हेतु सेवाओं को तकनीकी समाधान प्रदान करना।
➡️बुनियादी ढांँचे और प्रतिबद्ध गुणवत्ता जनशक्ति का विकास करना तथा एक मज़बूत स्वदेशी प्रौद्योगिकी आधार का निर्माण करना।
DRDO का इतिहास :-
➡️DRDO ने अपना पहला प्रोजेक्ट 1960 में जमीन से हवा में मार करने वाली (Surface to Air Missile -SAM) मिसाइलों की अपनी पहली बड़ी परियोजना इंडिगो के नाम से शुरू किया था लेकिन यह प्रोजेक्ट सफल नहीं हो पाया और बाद में बंद कर दिया गया था।
➡️हालांकि प्रोजेक्ट इंडिगो की असफलता और सीख ने ही आगे चलकर 1970 के दशक में SRSAM- Short Range Surface to Air Missile) और ICBM- Intercontinental Ballistic Missile को विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट वैलेंट के साथ प्रोजेक्ट डेविल के सफल मार्गदर्शन में अहम भूमिका निभाई।
DRDO के उत्पाद :-
✔️धनुष मिसाइल
✔️अग्नि- I,II,III
✔️अस्त्र मिसाइल
✔️ब्रह्मोस मिसाइल
✔️शौर्य मिसाइल
✔️निर्भय मिसाइल
✔️सागरिका मिसाइल
✔️नाग मिसाइल
✔️त्रिशूल मिसाइल
✔️आकाश मिसाइल
✔️पृथ्वी मिसाइल
✔️युद्ध टैंक अर्जुन
✔️हल्का लड़ाकू विमान(ASA)
Note :- 5 हजार से ज्यादा वैज्ञानिक काम करते हैं। इसके अलावा 25 हजार अन्य वैज्ञानिक, टेक्निकल और सपोर्टिंग से जुड़े कर्मचारी हैं।
