राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ( NHRC )

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission – NHRC)

✔️गठन:- 12 अक्टूबर 1993

✔️Act:- मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 (Human Rights Protection Act – 1993)

✔️प्रकृति:- सांविधिक निकाय (Statutory Body)

✔️मुख्यालय :- दिल्ली

✔️NHRC की संरचना:- 1 अध्यक्ष + 5 मुख्य सदस्य + 7 पदेन सदस्य (13 सदस्यीय निकाय है।)

✔️सदस्यों की नियुक्ति:- चयन समिति ➡️ राष्ट्रपति
6 सदस्य
1.प्रधानमंत्री (समिति का अध्यक्ष)
2.केन्द्रीय गृहमंत्री
3.लोकसभा अध्यक्ष
4.राज्यसभा उपसभापति
5.लोकसभा में विपक्ष का नेता
6.राज्यसभा में विपक्ष का नेता

✔️NHRC सदस्यों की योग्यता :-
➡️ अध्यक्ष (1) ➖उच्चतम न्यायलय का पूर्व मुख्य या अन्य न्यायधीश।
➡️ 5 मुख्य सदस्य

➖प्रथम सदस्य – उच्चतम न्यायलय का कार्यरत या पूर्व न्यायाधीश
➖दूसरा सदस्य – उच्च न्यायलय का कार्यरत या पूर्व न्यायाधीश
➖अन्य 3 सदस्य – मानव अधिकार के विषय में विशेषज्ञ , जिसमें कम से कम एक महिला आवश्यक है ।
➡️7 पदेन सदस्य
1.SC आयोग के अध्यक्ष
2.ST आयोग के अध्यक्ष
3.राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष
4.राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष
5.राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष
6.राष्ट्रीय बल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष
7.राष्ट्रीय दिव्यांग जन आयोग के अध्यक्ष

✔️Note :-
वर्तमान अध्यक्ष:- न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा
प्रथम अध्यक्ष:- न्यायमूर्ति रंगराज मिश्र
प्रथम महिला सदस्य:- फातिमा बीबी

✔️कार्यकाल:-
➡️3 वर्ष/आयु 70 वर्ष (अध्यक्ष तथा सदस्य पुनर्नियुक्ति के पात्र होते है ।)

✔️त्यागपत्र:-राष्ट्रपति

✔️हटाना:- राष्ट्रपति द्वारा

✔️कार्य और शक्तियां :-
➡️मानव आधिकार उल्लंघन सम्बन्धी जांच
➡️इसके पास मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित सभी न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार है।
➡️मानव अधिकार से सम्बंधित किसी संधि/समझौते का अध्ययन
➡️मानव अधिकार से सम्बंधित विधिक नियमों की जागरूकता फैलाना
➡️जेल , बंदीगृह जाकर सुधार की अनुशंसा
➡️आयोग के पास दीवानी अदालत की शक्तियाँ हैं और यह अंतरिम राहत भी प्रदान कर सकता है।
➡️इसके पास मुआवज़े या हर्जाने के भुगतान की सिफ़ारिश करने का भी अधिकार है।
➡️यह राज्य तथा केंद्र सरकारों को मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिये महत्त्वपूर्ण कदम उठाने की सिफ़ारिश भी कर सकता है।

✔️सीमाएं :-
➡️NHRC का कार्य केवल सिविल न्यायलय की तरह है। इसे किसी व्यक्ति को दंड देने और किसी व्यक्ति को आर्थिक सहायता देने का अधिकार नहीं है |

➡️इसके द्वारा सरकार को दी गई सलाह बाध्यकारी नहीं है।

➡️यह केवल उन मामलो की जांच कर सकता है , जिसे घटित हुए 1 वर्ष से अधिक न हुए हो तथा जिसकी जाँच राज्य मानव अधिकार आयोग या अन्य आयोग द्वारा न की जा रही हो ।

✔️Annually Report:- केंद्र अथवा जिस राज्य से सम्बंधित रिपोर्ट है तो उस राज्य की सरकार को सौपता है।

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