अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST)

अनुसूचित जनजाति आयोग

अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes – NCST)

अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम भारत शासन अधिनियम 1935 में किया गया था ।

अनुच्छेद (17)➖ इसमें अस्प्रश्यता के उन्मूलन का वर्णन किया गया है ।

अनुच्छेद (342)➖इसमें राष्ट्रपति को शक्ति दी गई है कि वह किसी राज्य के राज्यपाल से परामर्श करके किसी क्षेत्र विशेष के समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में डाल सकता है ।

अनुच्छेद 338(क)– इसके द्वारा अनुसूचित जनजातियों के संरक्षण हेतु संवैधानिक आयोग के गठन का प्रावधान है।

सर्वप्रथम 1978 में सरकार के आदेश के द्वारा अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिए गैर-वैधानिक आयोग का गठन हुआ।

इसके बाद 1987 में सरकार ने आयोग के कार्य को विस्तृत किया तथा आयोग का नाम बदलकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग कर दिया।

65 वें संविधान संशोधन 1990– इसके द्वारा आयोग को एक संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया ,परन्तु अभी तक यह आयोग अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए संयुक्त रूप से कार्य करता था ।

89 वें संविधान संशोधन 2003– इसके द्वारा इस संयुक्त आयोग का विभाजन दो भागो में कर दिया गया , अनुसूचित जातियों के लिए अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद-338) तथा अनुसूचित जनजातियो के लिए अनुसूचित जनजाति आयोग (अनुच्छेद-338 क) का गठन किया गया।

Note :- श्री भोला पासवान शास्त्री 1978 में संयुक्त ST/SC Aayog के प्रथम अध्यक्ष थे।

  1. ST Aayog (राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग)
    – National Commission for Scheduled Tribes

2. SC Aayog (राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग)
– National Commission for Scheduled Castes

ST Aayog :-
स्थापना:-
➡️संविधान के भाग-16 के अनुच्छेद -338 (क) के अंतर्गत इस आयोग को स्थापना की गई है अतः यह एक संवैधानिक निकाय है। 65 वें संविधान संशोधन 1990 द्वारा संवैधानिक दर्जा प्राप्त है।

➡️89 वें संविधान संशोधन 2003 के अंतर्गत 19 फ़रवरी 2004 को स्वतंत्र निकाय के रूप में अस्तित्व में आया।

संरचना :- 1 अध्यक्ष + 1 उपाध्यक्ष + 3 सदस्य

नियुक्ति :- राष्ट्रपति द्वारा

कार्यकाल :– 3 वर्ष

Note :- पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र ,2 बार से अधिक नियुक्ति के पात्र नहीं है ।

योग्यताएं:- अध्यक्ष- अनुसूचित जनजाति (ST) का सदस्य होना चाहिए , जो प्रसिद्ध सामाजिक और राजनितिक कार्यकर्त्ता हो।

उपाध्यक्ष तथा सदस्य :-
इनमे से कम से कम 2 सदस्य अनुसूचित जनजाति से सम्बंधित होना चाहिए।

Note :- 3 सदस्यों में कम से कम 1 महिला आवश्यक है।

ST आयोग सदस्यों को प्राप्त पद:-
अध्यक्ष :- कैबिनेट मंत्री
उपाध्यक्ष :- केन्द्रीय राज्य मंत्री
सदस्य :- भारत सरकार के सचिव

मुख्यालय:- दिल्ली
➡️अन्य 6 क्षेत्रीय कार्यालय
1.भोपाल
2.भुवनेश्वर
3.रायपुर
4.रांची
5.जयपुर
6.शिलांग

ST आयोग वर्तमान तथा पूर्व :-
ST आयोग के वर्तमान अध्यक्ष– हर्ष चौहान (6वें) ।
ST आयोग के प्रथम अध्यक्ष– कुंवर सिंह टेकाम।
ST आयोग की प्रथम महिला अध्यक्ष– उर्मिला सिंह ।
ST आयोग के प्रथम उपाध्यक्ष– श्री तापिर गाओ ।

Note :– रामेश्वर औराग ST आयोग के 2 बार अध्यक्ष रह चुके हैं।

शक्तियां :- ST आयोग की शक्तियां सिविल न्यायालय की शक्तियां प्राप्त है।

कार्य :-
➡️अनुसूचित जनजातियो के संरक्षण से सम्बंधित विषयों की जाँच तथा निगरानी करना।

➡️जनजातियो के कल्याण के सम्बन्ध में परामर्श सरकार और राष्ट्रपति को देना।

➡️अनुसूचित जनजातियो के अधिकारों के हनन से सम्बंधित किसी विशेष शिकायतों को जाँच करना।

➡️नई जनजातियो को अनुच्छेद 342 के अंतर्गत शामिल करने के लिए राष्ट्रपति को सलाह देना।

➡️अनुसूचित जनजातियो के विकास के लिए कार्यरत रहना , इस आयोग का मुख्य कार्य है।

Report:- राष्ट्रपति /राज्यपाल ➡️ संसद / विधानमंडल ➡️ सलाहकारी

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